Monday, October 28, 2013

गोपी की बिरहा भरी पुकार



तेरे दरस की प्यासी,
निहारे राह तेरी यह दासी,
आई हूँ मैं तेरे द्वारे,
तेरी बिरहा की हूँ मैं मारी!
आजा मोरे कृष्ण मुरारी !
आजा मोरे कृष्ण मुरारी !

तेरी शरण में हूँ मैं आयी,
तेरे दर पे तेरी भिखारी ,
अब तो पीड़ा हर लो मोरी,
कृपा कर के बिहारी !
आजा मोरे कृष्ण मुरारी !
आजा मोरे कृष्ण मुरारी!

जीवन में दुःख जो आये,
तो राह कोई भी न भाये
मेरे भटके मन को पर्भु 
दिखायो अपनी छबी प्यारी!
आजा मोरे कृष्ण मुरारी !
आजा मोरे कृष्ण मुरारी !

मेरा ये जीवन तो है बस तेरा
इस में कुछ भी नही है मेरा
आँखे थक गयी है अब तो
रहूँ मैं राह तेरी निहारी !
आजा मोरे कृष्ण मुरारी !
आजा मोरे कृष्ण मुरारी !

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