Tuesday, March 8, 2022

हिन्दू धर्म की जरूरी जानकारियां

 

हिंदू धर्म दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है और इसके साथ बहुत से दर्शन और मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। हिंदू धर्म के अपनी सदियों पुरानी परंपराओं और मान्यताओं को आगे बढ़ाती जा रही है। हम आज भी पुराने रीति-रिवाजों को मानते चले आ रहे हैं। बचपन से आप बड़े-बुज़ुर्गों के मुंह से हिंदू धर्म के बारे में बहुत कुछ सुनते आए होंगे, बावजूद इसके हिंदू धर्म के बारे में बहुत सी ऐसी बातें है जो शायद आपको किसी ने नहीं बताई होगी। यहां रहे हिंदू धर्म के रोचक तथ्य।

असली नाम सनातन धर्म

कुछ लोग इसे वैदिक धर्म भी कहते हैं। सनातन का अर्थ है अनंत धर्म या अनंत सत्य।

कोई संस्थापक नहीं

दूसरे धर्मों की तरह हिंदू धर्म का कोई संस्थापक नहीं है। यह भारत का राज्यधर्म है और 1500-2000 ईसा पूर्व में ये चलन में आया। उस समय से संत और पुजारियों ने इस धर्म को बढ़ावा दिया। इसका कोई एक संस्थापक नहीं है।

सिर्फ एक ईश्वर

हिंदू धर्म में सिर्फ एक ही ईश्वर है और वो है ब्राह्मण। ब्राह्मण के तीन रूप है, ब्रह्मा, विष्णु औक महेश। आगे फिर इनके अनेक रूप है, जिसमें राम, कृष्ण, देवी सरस्वती, लक्ष्मी आदि शामिल हैं।

पत्थर से लेकर पौधों तक की पूजा

हिंदू धर्म में सिर्फ मूर्ति की ही पूजा नहीं की जाती, बल्कि पेड़ पौधों और पत्थर के अलावा लोग पृथ्वी और गाय की भी पूजा करते हैं। यानी हिंदू धर्म मूर्तिपूजन तक सीमित नहीं करता है।

एकमात्र धर्म जो नारीवाद को बढ़ावा देता है

हिंदू धर्म का रोचक तथ्य यह भी है कि यह धर्म नारीवाद को बढ़ावा देता है। राम, कृष्ण, शिव, माता लक्ष्मी, माता सरस्वती, माता वैष्णो आदि को ब्रह्मा जी ने समान अधिकार दिए थे। देवियों को देवताओं के बराबर की शक्ति प्राप्त थी।

मासिक धर्म वाली देवी की पूजा

मासिक धर्म को लेकर भले ही हमारे समाज में झिझक वो, मगर असम के कामख्या देवी मंदिर में कामाख्या माता की पूजा की जाती और कहा जाता है देवी मां मासिक धर्म में हैं। पीरियड्स के दौरान देवी की पूजा किए जाने से ये संदेश जाता है की पीरियड्स के दौरान महिलाएं अपवित्र नहीं होती।

कुछ हिंदू मंदिर अलग उद्देश्य के लिए बनाए गए

आपन खजुराहों के मंदिर के बारे में तो सुना ही होगा जहां देवी-देवताओं की जगह कामुक मूर्तियों की भरमार है। दरअसल, ये मंदिर उस वक़्त बना था जब लोग सांसारिक सुख छोड़कर संत बनकर मंदिरों में ही अपना समय बिताने लगे थे, जिससे उस क्षेत्र की जनसंख्या तेज़ी से कम होने लगी थी।

लचीला धर्म

हिंदू धर्म बहुत लचीला है और ये सभी तरह के बदलावों को आसानी से समाहित कर लेता है। हालांकि, इस धर्म में एक ही ईश्वर है, मगर लोग उनके अलग-अलग रूप की पूजा करते हैं।

कोई लिखित शास्त्र नहीं

हिंदू धर्म का मकसद वेदों को सुनकर उसे आत्मसात करना था, न कि केवल लिखना। हालांकि बाद में कई संतों ने शास्त्रों की रचना की। यह भी हिंदू धर्म के रोचक तथ्य में एक है।

हिंदू धर्म में जाति का बंधन नहीं

हिंदू धर्म में जातिवाद की कोई अवधारणा ही नहीं है, ये तो लोगों द्वारा बनाया गया है जो धर्म को जाति के आधार पर बांटना चाहते थे।

धन को पाप नहीं समझा जाता

आपने कई महात्माओं को कहते सुना होगा कि धन-दौलत पाप और माया है, मगर हिंदू धर्म में धन, काम और मानव की आधारभूत ज़रूरतों को पूरा करने पर विश्वास करता है। लोग धन के देवी लक्ष्मी, शांति के लिए माता संतोषी और काम के लिए माता रति की अराधना करते हैं।

हिन्दू धर्म के मूलभूत धर्मग्रंथ वेद हैं। वेद के चार भाग है ऋग, यजु, साम और अथर्व। वेद के ही तत्वज्ञान को उपनिषद कहते हैं जो लगभग 108 हैं। वेद के अंग को वेदांग कहते हैं जो छह हैं- शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, छन्द और निरूक्त।

  1. मनु आदि की स्मृतियां, 18 पुराण, रामायण, महाभारत और अनेक ऋषियों के नाम के सूत्रग्रंथ धर्मग्रंथ के ज्ञान का ही विस्तार है। इसके साथ ही ये हमारे इतिहास, सहित युद्धकला,चिकित्सा,ज्योतिष सहित तमाम अन्य विद्याओं के ज्ञान के भण्डार हैंI वेद, उपनिषद का सार या कहें कि निचोड़ गीता में हैं इसीलिए गीता को भी धर्मग्रंथ की श्रेणी में रखा गया है जो महाभारत का एक हिस्सा हैI
  2. वेदों के अनुसार ईश्‍वर एक ही है उसका नाम ब्रह्म (ब्रह्मा नहीं) है। उसे ही परमेश्वर, परमात्मा, परमपिता, परब्रह्म आदि कहते हैं। वह निराकार, निर्विकार, अजन्मा, अप्रकट, अव्यक्त, आदि और अनंत है। सभी देवी-देवता, पितृ, ऋषि-मुनि आदि उसी का ध्यान और प्रार्थना करते हैं। और उन्हीं परमेश्वर को परमात्मा को ब्रम्हा, विष्णु, महेश की त्रिमूर्ति के रूप में पूजा जाता हैI
  3. विद्वानों के अनुसार लगभग 90 हजार वर्षों ने हिन्दू धर्म निरंतर है। नाम बदला, रूप बदला, परंपराएं बदली, लेकिन ज्ञान नहीं बदला, देव नहीं बदले और न ही हमारे तीर्थ। हमारे पास इस बात के सबूत हैं कि 8 हजार ईसा पूर्व सिंधु घाटी के लोग हिन्दू ही थे। दृविड़ और आर्य एक ही थे।
  4. हिन्दू धर्म में संध्यावंदन और ध्यान का बहुत महत्व है। कुछ लोग संध्यावंदन के समय पूजा-आरती, भजन-कीर्तन, प्रार्थना, यज्ञ या ध्यान करते हैं। लेकिन संध्यावंदन इन सभी से अलग होती है। संध्यवंदन आठ प्रहर की होती है जिसमें दो प्रहर सभी के लिए हैं- सूर्योदय और सूर्यास्त के समय मंदिर या एकांत में शौच, आचमन, प्राणायामादि कर गायत्री छंद से संध्यावंदन की जाती है।
  5. हिन्दू धर्म जीवन जीने की एक शैली है। योग, आयुर्वेद और व्रत के नियम को अपनाकर आप हमेशा सेहतमंद बने रहकर खुश रह सकते हैं। इसमें भोजन, पानी, निद्रा, ध्यान, कर्म, मन, बुद्धि और विचार के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी है जिसे आज विज्ञान भी मानता है। इसे पढ़ना चाहिए।
  6. वेदानुसार यज्ञ पांच प्रकार के होते हैं-1. ब्रह्मयज्ञ, 2. देवयज्ञ, 3. पितृयज्ञ, 4. वैश्वदेव यज्ञ, 5. अतिथि यज्ञ। ब्रह्मयज्ञ का अर्थ संध्यावंदन, स्वाध्याय तथा वेदपाठ करना। देवयज्ञ अर्थात सत्संग तथा अग्निहोत्र कर्म करना। पितृयज्ञ अर्थात पूर्वज, आचार्य और माता-पिता में श्रद्धा रखते हुए श्राद्ध कर्म करना। वैश्वदेवयज्ञ अर्थात अग्नि, पशु और पक्षी को अन्य जल देना। अंत में अतिथि यज्ञ अर्थात अपंग, महिला, विद्यार्थी, संन्यासी, चिकित्सक और धर्म के रक्षकों की सेवा करनाI
  7. हिन्दुओं के 10 कर्तव्य और कर्म हैं- संध्योपासन, तीर्थ, पाठ, दान, यज्ञ, व्रत, संस्कार, उत्सव (पर्व-त्योहार जयंती), सेवा और श्राद्ध। इसके अलावा चार पुरुषार्थ है- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। यह चारों चार आश्रम पर आधारित हैं- ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास।
  8. हिन्दू धर्म अनुसार जीवन का लक्ष्य मोक्ष होता है। मोक्ष का अर्थ होता है ज्ञान को उपलब्ध होना, आत्मज्ञान प्राप्त करना या खुद को उस अवस्था में ले आना जहां जन्म और मृत्यु से परे रहकर इच्छा अनुसार जन्म लेना और मरना।
  9. हिन्दू धर्म मानता है कि सृष्टि की उत्पत्ति हुई है किसी ने की नहीं है और यह कार्य कोई छह दिन में नहीं हुआ है। इसके लिए अरबों वर्ष लगे हैं। यह मानिए कि परमात्मा या आत्मा ही प्रारंभ में थे। उन्हीं से महत्, महत् से अंधकार, अंधकार से आकाश, आकाश से वायु, आयु से अग्नि, अग्नि से जल, और जल से पृथ्वी (अन्य सभी ग्रह) की उत्पत्ति हुई है। पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश, मन, बुद्धि और अहंकार यह प्रकृति के आठ तत्व हैं।
  10. हिन्दू धर्म पहले संपूर्ण धरती पर व्याप्त था। पहले धरती के सात द्वीप थे- जम्बू, प्लक्ष, शाल्मली, कुश, क्रौंच, शाक एवं पुष्कर। इसमें से जम्बूद्वीप सभी के बीचोबीच स्थित है। राजा प्रियव्रत संपूर्ण धरती के और राजा अग्नीन्ध्र सिर्फ जम्बूद्वीप के राजा थे। जम्बूद्वीप में नौ खंड हैं- इलावृत, भद्राश्व, किंपुरुष, भारत, हरि, केतुमाल, रम्यक, कुरु और हिरण्यमय। इसमें से भारतखंड को भारत वर्ष कहा जाता था। भारतवर्ष के 9 खंड हैं- इसमें इन्द्रद्वीप, कसेरु, ताम्रपर्ण, गभस्तिमान, नागद्वीप, सौम्य, गन्धर्व और वारुण तथा यह समुद्र से घिरा हुआ द्वीप उनमें नौवां है। भारतवर्ष के इतिहास को ही हिन्दू धर्म का इतिहास नहीं समझना चाहिए।
  11. ईस्वी सदी की शुरुआत में जब अखंड भारत से अलग दुनिया के अन्य हिस्सों में लोग पढ़ना-लिखना और सभ्य होना सीख रहे थे, तो दूसरी ओर भारत में विक्रमादित्य, पाणीनी, चाणक्य जैसे विद्वान व्याकरण और अर्थशास्त्र की नई इमारत खड़ी कर रहे थे। इसके बाद आर्यभट्ट, वराहमिहिर जैसे विद्वान अंतरिक्ष की खाक छान रहे थे। वसुबंधु, धर्मपाल, सुविष्णु, असंग, धर्मकीर्ति, शांतारक्षिता, नागार्जुन, आर्यदेव, पद्मसंभव जैसे लोग उन विश्वविद्यालय में पढ़ते थे जो सिर्फ भारत में ही थे। तक्षशिला, विक्रमशिला, नालंदा आदि अनेक विश्व विद्यालयों में देश विदेश के लोग पढ़ने आते थे।

तो यदि आप हिन्दू हैं तो गर्व कीजिए कि आप एक महान विरासत का हिस्सा हैं, अपने धर्मग्रंथो का अध्ययन कीजिये और उनके ज्ञान से स्वयं को उन्नत और श्रेष्ठ बनाइयेI और यदि आप हिन्दू नहीं भी हैं तब भी हर मनुष्य को स्वयं को अच्छाई की और ले जाने का जन्मजात हक हैI आइये और हिंदुत्व की महान विरासत से, अद्भुत ज्ञान से अपने जीवन का निर्माण कीजियेI

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