Wednesday, February 29, 2012

कान्हा कान्हा ओ कान्हा..


कान्हा कान्हा ओ कान्हा
तुझ को पुकारूँ दिन रैन

दर्श दिखा जा 

दिल में समा जा,
आजा रे कान्हा 

मेरे घर आजा,
मोरा मनवा है बेचैन!
कान्हा कान्हा ओ कान्हा..
तुझ को पुकारूँ दिन रैन!

राह तकूँ मैं तोरी 

अँखियाँ थकी है मोरी,
अटकी हुई तुझ पे,

मेरे सांसों की डोरी
तरस गए है मोरे नैन!
कान्हा कान्हा ओ कान्हा..
तुझ को पुकारूँ दिन रैन!



मेरे प्रभु मेरे गिरधर,
आ जाओ तुम मोरे घर,
चरणों में तेरे मेरा,
झुका हुआ है ये सर,
आये न तेरे बिन चैन
कान्हा कान्हा ओ कान्हा..
तुझ को पुकारूँ दिन रैन!

Monday, February 20, 2012

ॐ नम: शिवाय





कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि

जो कर्पूर जैसे गौर वर्ण हैं, करुणा के अवतार हैं, संसार के सार हैं और भुजंगों का हार धारण करते हैं, वो भगवान भव, भवानी सहित मेरे ह्रदय में सदैव निवास करें और उन्हें मेरा नमन है.

KARPURA-GAURAM KARUNA-VATARAM
SAMSARA-SARAM BHUJAGENDRA HARAM
SADA VASANTAM HRIDAYA RAVINDE
BHAVAM BHAVANI SAHITAM NAMAMI

White as camphor, the avatar of Karuna (god of Compassion), adorned with the garland of the Serpent King, ever dwelling in the lotus of my heart, to the Lord and Lady, Shiva and Shakti together, to them I bow down.

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