कान्हा कान्हा ओ कान्हा
तुझ को पुकारूँ दिन रैन
दर्श दिखा जा
दिल में समा जा,
आजा रे कान्हा
मेरे घर आजा,
मोरा मनवा है बेचैन!
कान्हा कान्हा ओ कान्हा..
तुझ को पुकारूँ दिन रैन!
राह तकूँ मैं तोरी
अँखियाँ थकी है मोरी,
अटकी हुई तुझ पे,
मेरे सांसों की डोरी
तरस गए है मोरे नैन!
कान्हा कान्हा ओ कान्हा..
तुझ को पुकारूँ दिन रैन!
मेरे प्रभु मेरे गिरधर,
आ जाओ तुम मोरे घर,
चरणों में तेरे मेरा,
झुका हुआ है ये सर,
आये न तेरे बिन चैन
कान्हा कान्हा ओ कान्हा..
तुझ को पुकारूँ दिन रैन!
बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteजय श्री कृष्णा
बहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भावमय रचना...
:-)
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सुन्दर रचना कृष्ण के भाव में रची ...
ReplyDeleteआपको और परिवार में सभी को होली की मंगल कामनाएं ...
बहुत ही सुन्दर रचना..
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